Darood Sharif Hindi Mein Pade 55+ Durood Sharif In Hindi

अस्सलाम अलैकुम दोस्तों इस्तकबाल करते है हमारे ब्लॉग में आप सब मुसलमान हज़रत जानते है दुरूद शरीफ क्या है इसे पढ़ने के कितने फायदे होते है - जो मुहम्मद

 अस्सलाम अलैकुम दोस्तों इस्तकबाल करते है हमारे ब्लॉग में आप सब मुसलमान हज़रत जानते है दुरूद शरीफ क्या है इसे  पढ़ने के कितने फायदे होते है -

जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनके परिवार पर एक दुरूद भेजता है, अल्लाह उसके ऊपर 10 दरूद भेजते है, उसके 10 गुनाह माफ़ कर देता है, और 10 नेकी उसके उसके में लिख देता है अल्लाहु अकबर इसलिए आपको दुरूद शरीफ पढ़ते रहना चाहिए 

यदि आप दुरूद शरीफ पढ़ते है तो अल्लाह ताला आपके बुरे वक़्त को खत्म कर देता है दुरूद शरीफ़ पढ़ने से जन्नत के दर्जात बुलंद होते है।दुरूद शरीफ़ गुनाहों का कफ्फारा है। दुरूद शरीफ़ से अमल पाक होता है। दुरूद शरीफ़ से आँखों को नूर मिलता है। दुरूद पढ़ने से क़र्ज़ जल्दी अदा हो जाता है| दुरूद पढ़ने वाला मुहम्मद सल्ल्लाहु अलैहि वसल्लम के पसन्दीदा बन्दे होते  हैं| दुरूद शरीफ पढ़ने वाले का दिल रूह रेहमत और रौशनी से भर जाती है। दोस्तों दुरूद शरीफ के बेशुमार फायदे है जिसमे से हमने आपको सिर्फ कुछ ही फायदे बताये है 

Darood Sharif Hindi Mein Pade 55 Dorood Sharif Hindi


Darood-E-Ibrahim IN HINDI

अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा सललेता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद 

अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद 

 

Darood-E-Ibrahim IN HINDI


दुरूदे शफाअत IN HINDI

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुह़म्मदिवॅं व् अ न ज़िल हुल मक़ अ़दल मुक़र-रबा् इन दका् यौमल क़ियामति सल्ललाहु अ़लेहि व् सल्लम

हजरते रुवैफ़अ़ बिन साबित अंसारी फरमाते हे ! की रसूलल्लाह सल्ललाहु अ़लैहि व् सल्लम ने इरशाद फ़रमाया ! जिस शख़्स  ने ये कहा – उस के लिए मेरी शफ़ाअ़त वाजिब हो गयी !


 

दुरूदे शफाअत IN HINDI


 हुजूर सल्लाहो अ़लैहि व सल्लम की जियारत 


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला रूह़ि मुहम्मदिन फ़िल अर्वाह़ि व स़ल्लि अ़ला ज स दि मुहम्मदिन फ़िल अज सादि व स़ल्लि अ़ला क़ब्रि मुहम्मदिनफ़िल कुबूरि 

Tarjuma - जो शख्स ये ट्टरूद शरीफ़ पढेगा उसको ख्वाब में हुजुरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जियारत होगी  


Darood Sharif Hindi Mein Pade 55+ Durood Sharif In Hindi



 दुरूदे गौसिया 


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुहम्मदिम मअ्दि-निल जूदि वल क र मि व आलिही व बारिक व सल्लिम 

हदीस शरीफ़ Tarjuma  : हुजूर रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लिम फ़रमाते हैं ! क़ियामत क़े दिन मुझ से सब में ज्यादा क़रीब वाे हाेगा ! जिस ने सब से ज्यादा मुझ पर दुरूद भेजा है

 

darood sharif


 रोज़ी में बरकत 

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन अ़ब्दिका व रसूलिका व स़ल्लि अ़लल मुअ्मिनीना् व  मुअ्मिनाति वल मुस्लिमीना् वल मुस्लिमाति 

जिस शख्स की ये ख्वाहिश हाे कि उसका माल बढ जाए ! वो इस दुरूद शरीफ़ को पढा करै 

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 मस्जिद में आने और जाने पर दुरूद शरीफ 

बिस्मिल्लाहि अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन 

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब मस्जिद यें जाते या मस्जिद से निकलते तो ये दुरूद शरीफ ( darood sharif ) पढा करते थे 

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मुकम्मल दुरूद शरीफ

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिव व अ़ला आलि मुहम्मदिन 

हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबा से एक मर्तबा फ़रमाया – तुम ना-मुकम्मल दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) न पढा करो ! फिर सहाबए किराम के दर्याफ्त करने पर आप ने ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) तअलीम फ़रमाया


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 दोज़ख़ से नजात

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदि निन नबीय्यिल उम्मिय्यि व अ़ला आलिही वसल्लिम 

हजरत खल्लाद रहमतुल्लाह अलैह जुम्मा के दिन ये दुरूद शरीफ़ एक हजार मर्तबा पढा करते थे ! उनके इन्तिकाल के बाद उनके तकिया के नीचे से एक कागज मिला जिस पर लिखा हुआ था ! कि ये ख़ल्लाद दिन कसीर के लिए दोजख़ से आजादी का परवाना है  

 

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 जन्नत में ठिकाना 

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदि निन नबीय्यिल उम्मिय्यि अ़लैंहिस-सलामु 

जुम्मा के दिन एक हजार मर्तबा ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढने वाले को मरने से पहले जन्नत यें उसका ठिकाना दिखा दिया जाएगा 

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अस्सी साल की इबादत का सवाब

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदि निन नबीय्यिल उम्मिय्यि व अ़ला आलिही व सल्लिम तस्लीमा 

जुमअ के दिन जहॉ नमाजे अस्र पढी हो उसी जगह उठने से पहले अस्सी मर्तबा ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढ़ने से अस्सी साल के गुनाह मुआफ होते हैं ! और अस्सी साल की इबादत का सवाब मिलता है


Darood Sharif Hindi Mein Pade 55+ Durood Sharif In Hindi


ईमान की हिफ़ाज़त 

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिवें व अ़ला आलि मुहम्मदिन सलातन दा-इ-मतम बि-दवा-मिका् 

जाे शख्स पचास मर्तबा दिन में और पचास मर्तबा रात में इस दुरूद शरीफ ( darood sharif ) काे पढेगा ! तो उसका ईमान जाने से महफूज होगा

 

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लिम के रोज़ए मुबारक की जियारत 

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन सलातन तकूनु लका् रिदन व लि-हक़्क़िही अदा-अ् न 

जाे शख्स नमाजे फज़्र और नमाजे मग़रिब के बाद 33-33 बार ये दुरूद शरीफ़ पढेगा ! ताे उस शख्स की कब्र के और रौजए अकदस के दर्मिंयान एक खिडकी खौल दी जाएगी ! और रौजए अक़दस की जियारत उसको नसीब होगी 


खजिनए फ़ज़ाइलो बरकात

सल्लल्लाहु अ़लन-नबीय्यिल उम्मिय्यि व आलिही सल्लल्लाहु अ़लेहि वसल्लमा् सलातवें व सलामन अलैका् या रसूलल्लाह 

ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) हर नमाज़ खुसूसन नमाजे जुम्मा के बाद मदीना मुनव्वरा की जानिब मुँह करके ! सौ मर्तबा पढने से बे-शुमार फ़जाएलाे बरकात हासिल होते हैं


  सवाब में सबसे ज्यादा

सल्लल्लाहु अला सय्यिदिना मुहम्मदिवें व आलिही व सल्लमा् 

ये दुरूद शरीफ़ पढने मै छोटा और सवाब में सब से ज्यादा हैं जाे शख्स राेजाना पाँच सौ मर्तबा इसको पढे ! ताे कभी मुहताज न हो


परेशानियाँ दूर हो

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदि निन नबीय्यिल उम्मिय्यि ताहिरिज़ ज़क्किय्यि सलातन तु-हल्लु बिहिल उ-क़-दु व तु-फ़वकू बि-हल कु-र-बु 

ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) बार बार पढने से अल्लाह तआला परेशानी दूर फरमा देता है 

 

दुरूदे इस्मे अअज़म

अल्लाहु रब्बु मुहम्मदिन स़ल्ला अ़लैंहि वसल्लमा * नहनु इबादु मुहम्मदिन स़ल्ला अ़लैहि वसल्लमा *

ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) कम को क्या सौ मर्तबा रोजाना अपना मअमूल बना लीजिए ! फिर इसकी बरकात देखिए कि दीन व दुनिया के हर काम मेंकामयाबी आपके क़दम चूमेगी नाकामी की बादे ख़ज़ाँ कभी दूर से भी नहीं गुज़रेगी 


 मग़फ़िरत का जरीया


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन कुल्लमा ज़-क-ऱहुज़ ज़ाकिरूना् व कुल्लमा ग़ फला् अ़न ज़िक-रिहिल ग़ाफिलूना् 

इमाम इस्माईल बिन मुजनी ने हजरत हमाम शाफ़ई को ख्वाब में देखा ! और पूछा अल्लाह तआल ने आपके साथ क्या मुआमला फ़रमाया ताे उन्होंने जबाब दिया ! इस दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) की बरकत से अल्लाह तआला ने मुझे बक्श दियाऔर इज्जत-ो  एहतराम से जन्नत में ले जाने का हुक्म दिया  


  

 

हर दर्द की दवा 


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिम बि-अ़-द-दि कुल्लि दा-इवें व दवा-इवैं व बारिक व सल्लिम 

हर दर्द और बीमारी दूर होने के लिए अव्वल व आखिर ये दुरूद शरीफ़ पढे  ! और दमिंयान में मअ बिस्मिल्लाह सूरए फातिहा पढकर दम करें 


 क़र्ज़ की अदाएगी

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन 

ज़ुहर की नमाज के बाद ये दुरूद शरीफ ( darood sharif ) सौ मर्तबा पढने वाले को तीन बातें हासिल होंगी


1.कभी मक़रूज न होगा

2.अगर कर्ज होगा ताे वो अदा हो जाएगा ख्वाह जितना भी कर्ज हो

3.कियामत के दिन उसका काेई हिसाब न होगा 


 


 दुरूदे बाइसे जियारत  


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदि निन-नबीयिल उम्मिय्यि व आलिही व सल्लिम 

जाे शख्स जुम्मा के दिन एक हजार मर्तबा ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढे ! उसको ख्वाब में रिसालत मआब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जियारत होगी ! पाँच या सात जुम्मा तक पाबन्दी से इसको पढे


जन्नत के फल


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन अ़ब-दिका् अ़ला आलि मुहम्मदिवें व बारिक व सल्लिम

जो शख्स रोज़ाना इस दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) की पाबन्दी करे वो जन्नत के ख़ास फल और मेवे खायेगा


हजार दिन तक सवाब मिलना

सल्लल्लाहु अला मुहम्मदिवें व जज़ाहु अ़न्ना मा हुवा् अह्- लुहू

जो शख्स ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढ़े तो सवाब लिखने वाले सत्तर फ़रिश्ते एक हजार दिन तक इसका सवाब लिखेंगे


तमाम दुरूदो के बराबर


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिम बि-अ़-द-दि कुल्लि जिक-रिही अल्फ़ा् अल्फ़ि मर-रतिन

ये दुरूद शरीफ़ पढना हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर सारे दुरूद भेजने के बराबर है 


अर्शे अज़ीम के बराबर सवाब 


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिम मिल-अस-समा-वाति व मिल-अल-अर्दि़ व मिल-अल अ़र्शिल अज़ीम 

इस दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) के पढ़ने वालें को आस्मान व जर्मीन भर कर और अर्श अजीम के बराबर सवाब मिलता है 


 

दुनिया व आख़िरत की बरकत का हुसूल 

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना मुहम्मदिवें व आलिही व सहू-बिही व सल्लिम बि-अ़-द दि मा फ्री जमीइल कुरआनि हरफ़न हरफ़वें व बि-अ़-द-दि कुल्लि हरफ़िन अल्फ़न अल्फ़न 

दुनिया और आखिरत की बरकतें हासिल करने के लिए अपने वजाएफ़ व मामुलात के ख़त्म पर ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढ लिया करें


Darood Sharif Hindi Mein 


चाँद की तरह चेहरा रोशन होना 


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़लन नबीय्यि मुहम्मदिन हत्ता ला यब-का मिन स़लातिका शेउँ व बारिक अ़लन नबीय्यि मुहम्मदिन हत्ता ला यब क़ा मिम बर कातिका् शेउँ वर-हमिन नबीय्या्  हत्ता ला यब क़ा र्मिंर रह् -मतिका् शेउँ व सल्लिम अलन नबीयि मुहम्मदिन हत्ता ला यब क़ा मिन सलामिका शैउन 

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इर्शाद के मुताबिक इस दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) के पढने वाले का चेहरा पुल सिरात से गुजरते वक्त चाँद से ज्यादा चमकदार होगा


कामिल दुरूद शरीफ़  


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन कमा अमर-तना अन नुस़ल्लिया अ़लैहि व स़ल्लि अ़लैहि कमा यंम-बगी अय्युस़ल्ला अ़लैंहि 

हज़रते अनस्र रज़िल्लाहु ने रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहिं वसल्लम से ऐसा दुरूद शरीफ दर्याफ्त किया ! जिसको कामिल दुरूद शरीफ ( darood sharif )कहा जा सके तो आपने ये दुरूद तलकीन फरमाया 


क़ुर्बे ख़ास का ज़रिया 

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन – क़मा तुहिब्बु  व तर्दा़ लहू 

रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहिं वसल्लम ने एक रोज़ एक शख्स को अपने और हजरत सिद्दीक अकबर रज़िल्लाहु अन्हु के दर्मियान बिठाया, सहाबा को  इस पर तअज्जुब हुआ ! ताे आपने फ़रमाया ये शख्स मुझ पर ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढता है 


दुआ क़ुबूलियत की दुरूद शरीफ़


अल्लाहुम्मा् रब्बा् हाज़िहिद दअ् -वतित ताम-मति व़स्स़लातिल का-इ-मति स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिवें वर्दा् अन्हु रिद़ल  ला स-ख़-ता् बअ् -दहू 

जो शख्स अजान के वक्त ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पडेगा अल्लाह तआला उसकी दुआ कबूल फ़रमाएगा


दुआ ए क़ुनूत के बाद पढ़ने वाली दुरूद शरीफ़


व स़ल्लल्लाहु अ़लन नबीय्यि मुहम्मदिवँ व सल्लमा् 

हज़रते हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु दुआ ए क़ुनूत के बाद ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढा करते थे


मग़फ़िरत का जरिआ –


अल्ह़म्दु लिल्लाहि अ़ला कुल्लि हालिवें व् सल्लल्लाहु अ़ला मुहम्मदिवें व अ़ला अह्लि बैतिही 

जो शख्स छींक आने ‘पर ये दुरूद शरीफ़ पढेगा तो मिनजानिब अल्लाह एक परिन्दा पैदा होगा ! जाे अर्श के नीचे फड़ फडाएगा और अर्ज़ करेगा कि इस दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) के पढने वाले को बख्श दे


ताबिईन का दुरूद शरीफ़ 


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिवँ व अ़ला अबीना इब्राहीमा् 

हज़रते सूफ़यान बिन अय्येना ने फ़रमाया : मैंनै सत्तर साल से  ज्यादा ह्रजराते  ताबिईन रहमतुल्लाह काे दौराने तवाफ़ ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढते हुए सूना

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़ियारत


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन कमा अमर तना अन नुस़ल्लिय्या् अ़लैहि अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन कमा हुवा अहलुहू अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन कमा तुहिब्बु व तर्दा़ लहू 

जो शख्स ख्वाब में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जियारत करना चाहता हो वाे ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढा करे


अफ़ज़ल दुरूद शरीफ़

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना मुहम्मदि निल-लज़ी  मल-अ्ता क़ल-बहू मिन जलालिका् व अ़ैनेहि मिन जमालिका् फ़-अस-बहा् फ़रिहम मसरूरम मुअ्य्येदम-मन्सूरा  

शैख़ अब्दुल्लाह नौअमान रहमहुल्लाह अलैह को ख्वाब में सौ मर्तबा हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जियारत हुई !  आखिरी मर्तबा में उन्होने हुजूर से अफ़ज़ल दुरूद शरीफ़ दर्याफ़्त  किया ताे आपने ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif )  फ़रमाया 


तमाम औकात में दुरूद शरीफ़


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन फी अव्वलि कलामिना

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन फी औ-सति कलामिना

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन फी आख़िरि कलामिना


शैखुल इस्लाम अबुल अब्बास ने फ़रमाया जाे शख्स दिन और रात मेंतीन तीन मर्तबा ये दुरूद शरीफ ( darood sharif ) पढे वाे  गाेया रात व दिन के तमाम औकात में दुरूद भेंजता रहा 


 

सत्तर हजार फ़रिश्तो का अस्तग़फ़ार 

जज़ल्लाहु तआला अ़न्ना मुहम्मदन सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लमा्  मा हुवा अह्-लुहू 

जो शख्स ये कहा करे उसके लिए सत्तर हजार फ़रिश्ते एक हजार  दिऩ तक अस्तग़फ़ार करते रहेंगे 


दस नेकिया 


मौलाया् स़ल्लि व स़ल्लिम दाइमन अ़-ब-दन अ़ला ह़बीबिका् खै़रिल-ख़ल्क़ि कु़ल्लिहिमी

अल्लाह तआला दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढ़ने वाले के लिए दस नेकियाँ लिख देता है ! उसके दस दर्ज़े बुलंद कर देता है और दस गुनाह मुआफ कर देता है 


दुरूदे इस्मे आज़म 


अल्लाहु रब्बू मुहम्मदिन स़ल्ला अ़लैहि वसल्लमा न्हनु इबादु मुहम्मदिन स़ल्ला अ़लैहि वसल्लमा 

यह दुरूद शरीफ़ कम से कम सौ मर्तबा पढ़ना रोज़ाना अपना मअमूल बना लीजिये ! फिर इसकी बरकत देखिये की दींन व दुनिया के हर काम में कामयाबी आप के कदम चूमेगी नाकामी की बाड़े खिज़ा कभी दूर से भी नहीं गुजरेगी 


छः लाख दुरूद शरीफ़ का सवाब 

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदिन  अ़द़ा-द-मा फ़ी ईल्मिल्लाहि सलातन दा-इ-मतम बि-दवा-मि मुलकिल्लाही 

शैखुद दलाइल ने हज़रात जलालुद्दीन सीयुती से रिवायत की इस दुरूद शरीफ़ को एक बार पढ़ने से छः लाख दुरूद शरीफ़ ( darood sharif )का सवाब हासिल होता है 


दीदारे सरकारे दो आलम स़ल्ललाहु तअ़ाला अ़लैहि व् सल्लम


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि व स़ल्लिम व बारिक अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदि-निन नबीय्यिल उम्मिय्यि ह़बीबिल अ़ालियि क़द्रिल अ़ज़ीमिल जाहि व अ़ला आलिही व स़ह्बिही व सल्लिम

बुजुर्गो ने फ़रमाया की जो शख्स हर शबे जुम्मा ( जुमेरात और जुम्मा की दरमियानी रात  ) इस दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) को पाबंदी से कम से कम एक बार पढ़ेगा ! मौत के वक़्त सरकारे दो आलम स़ल्ललाहु तअ़ाला अ़लैहि व् सल्लम की ज़ियारत करेगा ! और क़ब्र में दाखिल होते वक़्त भी देखेगा की सरकार उसे क़ब्र में अपने रहमत भरे हाथो से उतार रहे है ! 

 दुरूदे खज़री – darood e khazri

स़ल्ललाहु अ़ला ह़बीबिही व मुहम्मदिवँ व आलिही व बारका् वसल्लम 

यह एक ऐसा दुरूदे पाक है की न फ़क़त रौज़-ए-अक़्दस स़ल्ललाहु तअ़ाला अ़लैहि व् सल्लम की हाज़िरी नसीब होती है ! बल्कि मुरादे दीं पाई जाती है और मुहब्बत में यक़ीनन इज़ाफ़ा होता रहता है ! फील हक़ीक़त दुरूदे खज़री ( darood e khazri )एक बड़ी नेअमत है ! 


दुरूदे नूर durood e noor

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना मुह़म्मदिन नूरील अनवारि व सिर्रिल असरारि व सय्यिदिल अबरारि 

कर्रमल्लाहू वजहहु से हदीस शरीफ नक़ल है की  तुम्हारा मुझ पर दुरूद ( darood sharif ) पढ़ना तुम्हारी दुआओ की हिफाज़त करने वाला है ! और तुम्हारे रब की रिज़ा का सबब है ! 


 


 दुरूदे जमाली 


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना मुह़म्मदिवँ व अ़ला आलिही बी-क़दरी हुसनिही व जमालिही 

हज़रत इमाम हसन बिन अली रदियल्लाहु अन्हुमा का इरशाद है ! की जो शख्स किसी मुहीम या परेशानी में हो इस दुरूदे पाक (Darood E Pak) को हजार बार मुहब्बत व शोक से पढ़े और अल्लाह तआला से !  अल्लाह तआला उसकी मुसीबत टाल देगा ! और उसको अपनी मुराद में कामयाब कर देगा ! 

 

दुरूदे ख़ास 


स़ल्ललाहु अलैका या मुह़म्मदु नुरम-मिन नुरिल्लाहि  

कोई रंज या मुसीबत आ जाए तो सिद्क़ इस दुरूद शरीफ ( darood sharif ) को पढ़ने से हर क़िस्म की मुसीबते तक़लीफ़े और रंज व  ग़म ख़त्म हो जाते है !

दुश्वारी दूर हो 


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन कमा हुवा् अह् लुहू व मुस-तहिक़-क़ुहू 

जिस शख्स को कोई दुश्वारी पेश ही तो वो तन्हाई में बा वुजु ये दुरूद शरीफ ( darood sharif ) एक हजार मर्तबा पढे ! और एक हजार मर्तबा कलिमा तय्येबा पढकर दिल से दुआ करे, इन्शा अल्लाह तआला दुश्वारी दूर होगी 


दस हजार मर्तबा दुरूद शरीफ  बराबर 

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन अफ़-द़ला स़-ल-वातिका् ” 

इस दुरूद शरीफ के बारे में मन्क़ूल हैं कि ये दस हजार मर्तबा दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढने के बराबर है


बुजुर्ग दुरूद शरीफ़


या हमीदु स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना मुहम्मदिन या मजिदु  स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना मुमज जदिवँ व आलिही व स़ह बिही व बारिक व सल्लिम 

रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! मैं अपने अहले मुहब्बत्त का दुरूद खुद सुनता हूँ और उन्हें पहचानता हूँ ! और जाे इस मर्तबे का नहीं उनका दुरूद मुझे फ़रिश्ते पहुँचा देते है 


अस्सी साल के गुनाह मुआफ 


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन अ़ब्दिका् व रसूलिकन-नबीय्यिल उम्मीय्यि

हुजुरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इर्शाद के मुताबिक़  जो शख्स अस्सी मर्तबा ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) अल्लाह तआला उसके अस्सी साल के गुनाह्र मुआफ  फ़रमा देगा


औलाद को इज्जत दिलाना  

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिल अ़ा-लमीना्  हबीबिका्  मुहम्मदिवँ व आलिही सलातन अन्ता् अहमुँव व बारिक व सल्लिम कज़ालिका्  

जो शख्स सुबह व शाम सात सात मर्तबा इस दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) को पाबन्दी से पढे तो इस की बरकत से अल्लाह तआला उसकी औलाद काे बा इज्जत रखेगा


 जन्नत में मक़ाम देखना 


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिंव व आलिही अल्फ़ा् अल्फ़ा्  मर-रतिन 

जो शख्स जुम्मा के दिन हजार मर्तबा ये दुरूद शरीफ़ पढे ! ताे वो उस वक्त तक न मरेगा ! जब तक वो मरने से पहले जन्नत में अपना ठिकाना न देख ले


 बडे पैमाना से सवाब मिलना 

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदि निन-नबीय्यि व अज वाजिही उम महातिल मुअ् मिनीना् व जुर्रि यतिही व अह्लि बैतिही कमा स़ल्लेता् अला इब्राहीमा् इन्नका् हमीदुम-मजीद 

हुजुरे अकरम सल्लल्लन्हु अलैहि बसल्लम के इशदि के मुताबिक जाे शख्स चाहे कि बडे पैमाने के साथ उसको सवाब दिया जाए ताे उसको चाहिए कि ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढे


सदक़ा के क़ाएम मक़ाम  

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन अ़ब्दिका् व रसूलिका्  व स़ल्लि अ़लल मुअ् -मिनीना्  वल मुअ्-मिनाति वल मुस्लिमीना्  वल मुस्लिमाति 

हुजुरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ड़र्शाद के मुताबिक जिस शख्स के पास सदका देने के लिए कोई चीज न हो वाे ये दुरूद शरीफ ( darood sharif ) ! करे ये उस्रके लिए ज़कात के काएम मकाम है


 बड़ा जामे कौसर अता होगा   


अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिंवँ  व अ़ला आलिही व अस़हाबिही व औलादिही व अज़वाजिही व जुर्रि यतिही व अहलि बैतिही व अस़-हारिही व अन्सारिही व अश्या-इही व मुहिब्बीही व उम्मतिही व अलैना म अ़ हुम अज मइना् या अर हमर राहिमीन 

जो शख्स चाहे कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के  हौज़े कौसर से बडे पैमाने के साथ पानी नोश करे, उसको चाहिए कि ये दुरूद शरीफ ( darood sharif ) पढा करे



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