wo log bahut khush kismat the - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म

कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया ,वो लोग बहुत ख़ुश-क़िस्मत थे ,जो इश्क़ को काम समझते थे ,या काम से आशिक़ी करते थे ,हम जीते-जी मसरूफ़ रहे कुछ इश्क़ कि....

 कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया - wo log bahut khush kismat the - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के शेर


कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया 

वो लोग बहुत ख़ुश-क़िस्मत थे 

जो इश्क़ को काम समझते थे 

या काम से आशिक़ी करते थे 

हम जीते-जी मसरूफ़ रहे 

कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया 

काम इश्क़ के आड़े आता रहा 

और इश्क़ से काम उलझता रहा 

फिर आख़िर तंग आ कर हम ने 

दोनों को अधूरा छोड़ दिया 


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के शेर

 

और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा 

राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा 



faiz ahmad faiz two line shayari in hindi

कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब   आज तुम याद बे-हिसाब आए


वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था 

वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है


वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था   वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है

 


आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबान 

भूले तो यूँ कि गोया कभी आश्ना न थे


आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबान   भूले तो यूँ कि गोया कभी आश्ना न थे

 

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी 

सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी 

 

wo log bahut khush kismat the - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म

 

जानता है कि वो न आएँगे 

फिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल 


जानता है कि वो न आएँगे  फिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल

 

ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदम 

विसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं 

ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदम  विसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं

 

faiz ahmad faiz shayari on love


उठ कर तो आ गए हैं तिरी बज़्म से मगर 
कुछ दिल ही जानता है कि किस दिल से आए हैं 


उठ कर तो आ गए हैं तिरी बज़्म से मगर  कुछ दिल ही जानता है कि किस दिल से आए हैं

 

ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर 

वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं


ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर  वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं

 

सारी दुनिया से दूर हो जाए 

जो ज़रा तेरे पास हो बैठे 

 

सारी दुनिया से दूर हो जाए  जो ज़रा तेरे पास हो बैठे

 

faiz ahmad faiz poetry in Hindi 


जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक महक उठी 
जब तिरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई 

 

जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक महक उठी  जब तिरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई

 

रात यूँ दिल में तिरी खोई हुई याद आई 

जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए 

 

रात यूँ दिल में तिरी खोई हुई याद आई  जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए



दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हम 

कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई 


दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हम  कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई

 

 


Read More Quotes & Shayari

Post a Comment

© NAAT LYRICS. All rights reserved. Distributed by Finroz