Azhar Iqbal Shayari in Hindi Urdu English – is post me aapko azhar iqbal ki sayari ke bare me jankari di gyi hai kuch gazal likhe hue hai aap inhe rekhta manch khi baar dekha hai aur suna hai ye bhut acche shayar hai ye aasan shabdo me zindgi ki haqiqaat bya karte hai ye urdu poeter hai aur behtreen shayar hai aaiye jaante hai inke bare me
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azhar iqbal shayari status (2022)
बहुत दिन हो गए है तुमसे बिछड़े
तुम्हे मिलने को अब मन कर रहा है
गाली को प्रणाम समझना पड़ता हैं मधुशाला को धाम समझना पड़ता हैं,
आधुनिक कहलाने की अंधी ज़िद में रावण को भी राम समझना पड़ता है
हो गया आपका आगमन नींद में
छू के गुजरी जो मुझको पवन नींद में
मुझको फूलों की वर्षा में नहला गया
मुस्कुराता हुआ एक गगन नींद में
कैसे उद्धार होगा मेरे देश का
लोग करते है चिंतन मनन नींद में
इतना संगीन पाप कौन करे, मेरे दुख पर विलाप कौन करे
चेतना मर चुकी है लोगों की, पाप पर पश्चाताप कौन करे
जब भी उसकी गली में भ्रमण होता है उसके द्वार पर आत्मसमर्पण होता है
किस किस से तुम दोष छुपाओगे अपने प्रिय अपना मन भी दर्पण होता है
वो एक पक्षी जो गुंजन कर रहा है वो मुझमें प्रेम सृजन कर रहा है
बहुत दिन हो गए है तुमसे बिछड़े तुम्हे मिलने को अब मन कर रहा है
नदी के शांत तट पर बैठ कर मन तेरी यादें विसर्जन कर रहा है
हुआ ही क्या जो वो हमें मिला नहीं
बदन ही सिर्फ एक रास्ता नहीं
ये पहला इश्क है तुम्हारा सोच लो
मेरे लिए ये रास्ता नया नहीं
मैं दस्तको पे दस्तके दिए गया
वो एक दर कभी मगर खुला नहीं
azhar iqbal shayari instagram
इतना संगीन पाप कोण करे
मेरे दुःख पर विलाप कोण करे
चेतना मर चुकी है लोगो की
पाप पर पच्यताप कोन करे
इस धरा पर तो घुटने लगा साँस भी
सोचता हु की उड़ने लगु काश मैं
मैं दस्तको पे दस्तके दिए गया
वो एक दर मगर कभी खोला न गया
बहुत अजीब सी कैफ़ियते खुमार मैं हु
मैं उसके पास हु और उसके इंतज़ार में हु
तू खुदाई हुस्ने ज़माल है तो हुआ करे
तेरी बंदगी से मेरा भला नहीं हो रहा
हम थे उजलत में ये देखा ही नहीं
वो इसारा था ठहरने के लिए
ये पहला इसक है तुम्हारा सोच लो
मेरे लिए ये रास्ता नया नहीं।
तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में है
अज़ब सी रौशनी इस रात में है
मैं अब आईना कम ही देखता हु
मेरा अब खुद से भी जी भर गया क्या
अजहर इक़बाल बेहतरीन शायरी, कविता ,गजल, मुसायरा ,
घुटन सी होने लगी उसके पास जाते हुए
मैं खुद से रूठ गया हु उसे मनाते हुए
हमे बेहुनर जान मत जाने जा
हमे आ गए नाज उठाने तेरे
किसी को खुद में पा लेने का मतलब सायरी है
ये दीवाने ही कर सकते हैं ज्ञानी न कर पाए
मेरे नाकामी पे दिल खोल के हंसने वाले
सिर्फ दुश्मन नहीं ग़मख़ार भी हो सकता है
मेरी आवाज़ ख़ामोशी में ढल जाएगी एक दिन
कोई हसरत मेरे अंदर मुक़फ्फल हो रही है।
टूट गयी है धरती प्यास की सिद्दत से
कब तक सहती जलते हुए अम्बर का मौन।
कोई रात आकर ठहर गयी मेरी रात में
मेरा रौशनी से भी राबता नहीं हो रहा
कच्ची उम्रो के खौब हैं सारे
टूट जाए तो दर्द होता है।
ये खुशबुएँ मेरे घर का पता बता देगी
मैं जानता हु की तेरी रह गुजार में हु
हुआ ही क्या जो वो हमे मिला नहीं
तुम उसको ध्यान से देखो किसी दिन
निशा का रूप ही प्रभात मय है।
azhar iqbal poetry in hindi
किसी को होते किसी को अपना बना रही है
अजीब खुवाईश है दिल में जो सर उठा रही है।
वो देवियो की तरह थी तो हम भी श्रद्धा से
तमाम ध्यान उसी पे लगा के बैठ गए।
कटाकर अपने बालो पर गया क्या
वो यादो का मुसाफिर घर गया क्या
मुझे अब तुम बुरी लगने लगी हो
मेरे अंदर का सायर मर गया क्या।
फिर उस गली से गुजरना पड़ा तेरे खातिर
फिर उस गली से बहुत बेकरार आये हैं
क्या सितम है इस नास्ये मोहब्बत में
तेरे शिवा भी किसी और को पुकार आये हम
गुलाब चांदनी रातो पर बार आये हम
तुम्हारे होठो का सज़्का उतार आये हम
एक झील थी सफाक नील पानी की
उसमे डूब के खुद को निखार आये हम
तेरे ही लम्स से उनका खिराज मुमकिन है
तेरे बगैर जो उम्र गुजार आये हम
हो गया आपका आगमन नींद में
छू के गुजरी जो मुझको पवन नींद में
मुझको फूलो की बरसा में नहला गया
मुस्कुराता हुआ एक गगन नींद में
और कैसे उद्धार होगा मेरे देश का
लोग करते हैं चिंतन मन्नान नींद में।
अज़हर इक़बाल shayari in hindi lyrics
मुझे मदिरा से भी मिलती नहीं है
वो मादकता जो तैरेसाथ में है
इस धरा पे तो घुटने लगा साँस भी
सोचता हु की उड़ने लगु काश मैं
तुम उसको ध्यान से देखो किसी दिन
निशा का रूप ही प्रभात में है
जलते हुए साँसों की रब्बानी तेरे नाम
एक छोटी सी प्रेम कहानी तेरे नाम
तेरे संसार से तंग आ गए हैं
हम इस आभार से तंग आ गए हैं
हमे अब चाहिए थोड़ी सी घृणा
निरंतर प्यार से तंग आ गए हैं।
अच्छे बुरे संस्कार उसे देते हम
जन्म से तो हर बालक सरवन होता है।
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